Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 297
________________ 258 EPIGRAPHIA INDICA. [VOL. VIII. मा मनसु धरणि तुमं महिआभारी हु जं महं गरुषो । भोएण तं सि धरिमा एसो भारी तुहं गरुषो ॥७॥ गरुषत्तं तं मनसि धरणि दहं जं पसूहिं तुह दिन । तुह ग [29] . . . . . . . . . . तुमं धरिआ ॥७॥ जलनिषिणो थाहवित्रा लहुचविआ कुलगिरी तहा धरणी । पन्न वि तं किं काहिसि न याणिमो भोत्र मह कहसु ॥७॥ पट्टीए वहा कुम्मो सेसो सीसेण तह रएण किरी । पत्रं तं बहु मवसु इस भीषो जं करे धरह ॥७॥ परभारिमा मए कि [30].........[कमढ मा गज्ज । उबहसु पेच्छ धरिमा भएणं कह इमा अब्ज ॥८॥ मा कमढ वहस गव्वं मा तं इह सैस उत्तुणो हो । धरणिभरो केत्तुलो गरुपाहिम्वि अस्थि गरुपयरा ॥१॥ कलियं भोएण महिं दहणं मा हु मुणह लहुन ति ।। कुम्ममुहा गरुअत्तं एआए तु.[31]........ [॥८२॥] । लहुवविउं गउरविउं भीष तुमं चैत्र एस्थ जाणेसि । लहुवविधा सा वि मही वहुविधा सा वि भत्तीए ॥८॥ धरणि पहिं दिवं गरुअतं तु विहार केरिसयं । लहुअन्तेणं दिवं भोएणं तं पि केरिमयं ॥४॥ हरिजणं पसुहत्था भोएणं धरणि जं. तुमं धरिया। ह . . [32]. . . . . . . सह सञ्चं तं तुहं दाउं ॥८॥ दुहत्तं न य विरयसि जंपसि न य किं पि कुणसि न विरुई । मउणेण वि गरुषत्तं गाणं कह तुम हरसि ॥८॥ लहुवाविना हु धरणीकुलगिरिणो सायरा वि थाहवित्रा । एत्तुलएण करणं किं विहिश्र होर मह कहसु ॥८॥ 1..[33]........... कातण कुलगिरिप्यमहो । भोप तए पढम चिष जा रच्च वासु ता एहिं ॥८॥ कमठकडाइटिपाए गरुषतं तुफ पुहर केरिसयं । सोधिपभोपभुपाए केरिसयं तं पि मह कहसु ॥८॥ 00. Rend पति ०८. For चाहविचा see note on B. 2. ९. रएपरदेन. Read बहु. 5. Eg i , Delin. 1, 99; Beiträge zur Kunde der indogermanischen Sprachen, 18, 1. Read गरपारि वि and se note on B. 18. ८३. वह विधा"वडापिता from बडी=महान, Desin.7, 29, which has been retranslated into Sanskrit by बड़. ८८, Road एपिई.

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