Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India
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No. 25.]
TWO PRAKRIT POEMS AT DHAR.
255
मज्जावहि गरुषत्तं धरणीसरिनाहपव्वएमु ठिअम् । गरुपत्तण [14] नाम एन्हिं ताणं ह अस्थग्वियं ॥३॥ गरूपत्तणं र गरु एको वहिउं न जाव सोर । ता पुवेहिं विहत्तं तं पि तए लहुइचं कह णु ॥३७॥ मह गरुषतं सा तह य गरुइमा दो वि तह य हरिपाई । पइरडिरलहरिबाहिं सरिनाही निमह रोवे ॥३८॥ तर उप्पने भूवर गरुषत्तं ताण वि पलि जाव । पस[15]रंतनिरनिहा कुलगिरिणो ताव रोवन्ति ॥२८॥ जन्य पुरिसाण हिज्जा गरुमत्तं तस्य महिलाण कहं । अणथकं पुहई वि हु रोवर सरिमाण भंगीए ॥४॥ धरणीए तले कुम्मो कोलप्पमुहा वि लज्जिा लुक्का । जा लहुअत्तं तीए पुहईए कयं हु भोएण ॥४१॥ जा मरिऊणं धरिमा कुम्मप्पमुहहिं क[16]ह वि इह धरणी । सा विहिमा खेलणयं भोप तए इह धरन्तेण ॥४२॥ धरणीए समं धरिमा कुलगिरिपमुहा ह जाव तेण समं । जलनिहिणा तुडेणं अज्ज वेला तुहं गहिपा ॥४३॥ पुहईए गायत्तं अज्जावहि नेत्र केण वि निरुई । धरिऊण तए एचं लहुईलहु त्ति नाम कयं ॥४४॥ तहनमिपकप्पर[17]णं धरणी एह धारिश्रा कहं कह व । सा नीसंका अज्जं हसेर गिरिनिज्मरनिहेण ॥४५॥ लहुपाविमा हु धरणी कुलगिरिणो खविमा सरीनाहो । मणगहिरो निम्नविओ कस्म निमित्तस्म मह कहसु ॥४६॥ धरणी अज्जं हिट्ठा तर धरिमा भीष मन्त्रए एअं । पुरिसोत्तिमेण रहनं लहुअत्तं गइमभ[18]हि ॥४॥ कमठो धरह धरणिं पारणं गरुइमा वि अइलहुई । तद धरिभा पुण सा वि हु पेच्छसु के गरुइम पत्ता ॥४८॥
३६. Read ठिचं, एपिह, खु, पत्यमित्र.
३७. Read gand पुष्वेति. विह-विमनं. ३८. मिथक, He. 4, 181.
80. For we see note on A. 40. ४१. खुक, Gr.8586. Read खु.
४३. Read °मुहि . खेड,Gr.8 206. ४४. I think we must write at ष = षा and translate this by - lighter than light.' ४५. कप्पर=the shell of the tortoise, compare A.89. एक is dha =एषा, Gr.8263. ४६. For खबिधा from चपय (root चि) compare पब्वइ, Gr.6548. ४७. हिडा, Desin. 8,67. Rend भ. गरम गरम पभ, Gr.8178. ४८. चाएणं, Gr.1429.
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