Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 292
________________ No. 25.] सथेण वि अहमदचा धरणी पडिहार चिन्तमााण । इह पुण एसा कलिया पडिहार भीच कह लह [5] चा ॥११॥ चिरपरिचिचाण पासा उहाल सहयवेसु तह धरणिं । तह वि तद् चित्र रत्ता अब्रस्म मुहं न पुलएइ ॥ १२ ॥ कुम्मकिरिसेसपसुडा एसो भारी हु तुम्ह पडिहन्तो । पुज्न सव्वं दिहं तुम्हाण वि गरुइमा मुणि ॥१३॥ तुम्हाच एस भारी पडितो कुम्मसेस किरिया । [6] पेच्छह इमस्स भारं भूरानो भणइ विहसन्तो ॥ १४॥ भारुव्वहणसमत्या अब्जावहि जे जयम्मि विक्वाया । ते वि उष हापयविं कुमप्यमुहा तर मीचा ॥१५॥ भारा दुव्वहतं पव नियडियम पडितं । भुवणेकधवल तं चित्र तए कह कह णु अवहरिश्रं ॥ १६॥ निचगरुइमाए लघु [7]चं भूषणं काऊथ वुब्भए पच्छा I तुह नहुअत्तमेषं अब्रस्म न कह व संचड ॥१७॥ धरणि तुमं अगर तुम सयासाची कच्छपो गरुथी । भीएच सी वि जित्तो गरुथाहिम्वि पथि गरुपयरा ॥१८॥ असरिच्छं धरणिभरं धारय वम्मेण सह बहतेष । TWO PRAKRIT POEMS AT DHAR. अस्थि गरुप्राण गरुआ जणवाओ इह तए हरिवो [8] ॥१८॥ अइदुव्वहो हु भारो धरणि त्ति जणस्स भोअ पडिहन्तं । कह चमेव सो विष तप हियो तं धरतेण ॥२०॥ अक्कमेण चित्र कुम्मस्म सो हु दप्पो माहप्पो सो हु सेसपमुहाण । धरणिं घरंतपणं कह पु तर सी उप्पुसि ॥२१॥ हु धरणी त घरिया गरुतं कच्छवच्छ वरिषं । अकुणतेण व काइम्व तस्म त [9]ए पाडिया वट्टा ॥२२॥ कुमकिरिमपहा मथेन पर मए हु विवाया । अवह हिमयं ताणं न जाइ सयसिक्करं कह णु ॥२३॥ 253 १२. उद्दालसु, Gr. 8553. १२, १४. पहिन्दी = प्रतिभान् in the sense of प्रतिभाति. १५. जयमि= जगति, Gr. 5395. १६. For compare note on 4. 5. १७. Read बुझए. नडुचत्त apparently belongs to बडुलो or पडलो, 'tortoise, Désin 4, 20 This thy tortoiseship is not at all found with any other." १८. Read सयासाउ and compare note on B. 7. जित्ती, Gr. 194. Read गरुचाहिं वि and compare Gr. 5369. For fer see note on A. 48. 2. For cyfeit compare note on A. 53. २२. Read काई व. For बट्टा see note on 4. 64, २३. जादू जायते, Gr. 5487. सूर्य = शतशौत्कार.

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