Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India
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No. 20.]
TWO GRANTS OF DHRUVASENA II.
197
14 ध्यातः 'सकलजगदानन्दनात्यभुतगुणसमुदयस्थगितसमग्रदिमण्डलः समरसत
विजयशोभास15 नाथमण्डलाग्रद्युतिभासुरतरान्सपीठो[ढ]गु[क]मनोरथमहाभा[२]: सर्व विद्या]
परावर[विभागाधिग16 मविमलमतिरपि सर्वतस्मुभाषितलवेनापि मुखोपपा[द]नीयपरि[तो]ष: समग्र
लोकागाधगाम्भी17 र्यहृदयोपि सुचरितातिशयसुव्यक्तपरमकल्याणख[भाव: खिलीभूतकृतयुगनृपति
पथ[वि]शोध18 नाधिगतोदग्रकीर्तिईनुिपरोधीज्वल[तरीकतार्थसुखसम्पदुपसेवानिरूढधर्मादि]
त्यहिती[य]नामा पर19 ममाहेखरः श्रीशीलादित्यस्तस्यानुजस्तत्पादानुध्यात: [ख]यमुपन्द्रगुरुणव गुरु
णात्यादरवत[7] समभिल- . 20 षणीयामपि राजलक्ष्मी' स्कन्धासतां परमभद्र इव धुर्य्यस्तदाज्ञासम्पादनक
___ रसत[ये वोहहम्मेदसुखरतिभ्या21 मनायासितसत्वसपत्तिः प्रभावसम्पदशीकतनृपतिशतशिरोरत्रच्छायोपगूढपादपीठोपि
परावज्ञाभि22 मानरसाना[थङ्गित]मनोवृत्तिः प्रणतिमेका' परित्यज्य प्रख्यातपौरुषाभिमानैरप्य
रातिभिरनासादितप्रति] क्रियो]23 पायः कतनिखिलभुवनामोदविमलगुणसङ्कतिप्रसभविघटितसकलकलिविलसितगति
बी[चजनाधि24 रोहिभिरशेषहरिनामुष्टात्युबतहदयः प्रख्यातपौरुषास्त्रकौशलातिशयगणसिथ
प्रख्यातपौरुषास्त्रकाशलातिशय विदच[क्षि]तिपाति25 लक्ष्मीस्खयंग्रहप्रकाशितप्रविरपुरुषप्रथमसेम्याधिगमः परममाहेश्वरः श्रीखरग्रह- स्तस्य तनयस्तत्पादा26 नुध्यातः स[क] लविद्याधिगमविहितनिखिलविहन्ननमनःपरितोषातिशयः "सत्व
सम्पदा त्यागौदार्येण च 27 विगतानुसन्धान[*]शमाहितारातिपक्षमनोरयाचभः सम्यगुपलचिताणकथा[ख]-2 28 कलाथोकचरितगहरविभागोपि परमभद्रप्रकृति[]कषिमप्रच[यविनय]
I Read "वडत. • Read द.. - Read मेकां. 10 Read 'प्रवौरपरुषप्रथमसंख्याधिगमः * Read 'कबालीक.
• Rand 'राम. • Read 'सत्त्वसंपत्तिः . • Raad 'संहति. ॥ Bend सत्त्व'.
• Rad 'ली. • Read मासिविता • Read 'विपचितिपति. WRend तानेक.
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