Book Title: Epigraphia Indica Vol 08
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 285
________________ 246 EPIGRAPHIA INDICA. भुषण ॥३०॥ होंतेहिं अवयवेहिं पट्टि घोडवर जदू न ता साहु | affया परि कुम्भो श्री केणावि जो न दिट्ठो खुत्रो न कया वि एत्थ सुड्डु नवो । पर [16]वयरणे मग्गो पढमो कुम्भेण निम्मवित्रो ॥ ३८ ॥ [VOL. VIII. a रे कुछ तं सि सि जाओ अवेहिं मुहा किमेत्य जाएहिं । जस्म समप्पिनभारं सुहेहिं भुअणं पि निवसे ॥३८॥ अवसितं चि जंन का वि को विसरिही। तं कुम्भे चित्र थक्कं इअरा इअर चित्र वराया ॥४०॥ [17] निश्रकज्जे जाण तणू ताणं संखं पि एत्थ को मुणउ । जी पिपरकाले जस्म पुणो सो कमढवई ॥४१॥ हु संधारहिया जाया येथे वितं पित कुछ। भङ्गीए पुणो भेश्रो अवो चित्र तुम्ह निव्वडियो ॥ ४२ ॥ अच्छउ भुअणुव्वहणं हिअरण वि तत्र जाइ चिन्तेउं । तंपि कम [18]ढेच कयइरपाच गई असावया 1820 पीए चोवणे लोभी भारा दुब्वहतं भम्मो न के के न एत्थ जाया के न मोसूण कमढरायं भण भुषणं सासेण जस्म भुअ[19]णं सयलं ऊससइ कमढरायस्स | की तय हो सरिसो जाभी जपणीए सो शेष ॥४५॥ वहुए वि एत्थ जाया तेहिं पि हु किं पि किं पि एत्थ कयं । भुषणवरणसमत्यो एको चिच कच्चयो जाची ॥४७॥ के के न एत्थ जाया चरियायारेहिं अत्थि ताण समा । कष्णवसरिच्छ एवं न य वाचो [20] मिहिर ॥४८॥ र कमडराया । सुणत्र के रिसयं ॥४४॥ ह होता पणे तहिं पि गया । केण उपरि ॥४५॥ ३०. Rend होंतेहिं. २९. Read अहिं and सुहेहिं. ४०. For थक्कं compare Hc. 4, 16; Beiträge zur Kunde der indogermanischen Sprachen, 3, 258f.; 6, 84ff. 83. The second verse means: "In one way or another (P), however, another special lot has fallen to you." ४३. तन and कयङरु are grammatically incorrect for से न and कर्य गर 88. JJ apparently means to shout at," to applaud." ४५. For जगणीए with short ए compare Gr. § 385 and uote on A. 1. ४७. Read बहुए; the form is quite unusual and probably wrong. Compare सप, 4. 109, मदए, B. 34, and Gr. 5880. ४८. Read रेहिं. अत्थि is used in the sense of सन्ति ; seu Gr. 5499. For न य नाची etc. compare 4. 10, 16, 55, 6.

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