Book Title: Dravyavigyan
Author(s): Vidyutprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 12
________________ के भेद - बौद्ध मत में लोक का विवेचन (क) नरक लोक (ख) ज्योतिलोक (ग) स्वर्ग लोक । वैदिक धर्मानुसार लोक वर्णन : (क) नरक लोक (ख) ज्योतिर्लोक (ग) महर्लोक . लोक के भेद प्रभेद - संस्थान के प्रकार - लोकालोक का पोर्वापर्व - दिक् . न्याय वैशेषिक और आकाश . सांख्य के अनुसार आकाश - अद्वैत वेदान्त और आकाश . बौद्धमत और आकाश - आकाशास्तिकायकी सिद्धि . काल द्रव्य - काल का लक्षण : (क) वर्तना क्या है? (ख) परिणाम क्या है? (ग) क्रिया क्या है? (घ) परत्व व अपरत्व (च) परिणाम के संबंध में कुछ तर्क - वर्तना और परिणाम में अंतर . काल अखंड प्रदेशी नहीं है. काल अनंत समययुक्त है . काल के प्रकार - काल का उपकार . क्रिया में सहायक काल है . व्यवहार के भेद - निश्चय काल का लक्षण . व्यवहार और निश्चय काल में अंतर . कालचक्र की अवधारणा - काल के ज्ञान की आवश्यकता . वैशेषिक दर्शन में काल . सांख्य और काल . पुद्गल का लक्षण - पुद्गल के भेद - परमाणु का स्वभाव चतुष्टय . पुद्गल के लक्षण - पुद्गल के भेद : (क) स्कंध (ख) स्कंधदेश (ग) प्रदेश (घ) परमाणु - पुद्गल के पर्याय : (क) शुद्ध (ख) बंध (ग) सूक्ष्म (घ) स्थूल (ड) संस्थान (च) भेद (छ) अंधकार (ज) छाया (झ) आतप (ग) उद्योत . पुद्गल के छः भेद - पुद्गल परिणमन - पुद्गल के प्रकार - पुद्गल का स्वभाव चतुष्टय - पुद्गल के उपकार - जैन दर्शन का लक्ष्य 5. उपसंहार 208-225 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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