Book Title: Dravyavigyan
Author(s): Vidyutprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 11
________________ । आत्मा प्रमाण सिद्ध है। - आत्मा की सिद्धि जिन भद्रसूरि के अनुसार - विभिन्न आचार्यों के अनुसार आत्मा की सिद्धि - आत्मा और उपनिषद् - उपनिषद् और आत्म स्वरूप की विभिन्नता - देहात्मवाद - प्राणात्मवाद - मनोमय आत्मा - प्रज्ञा विज्ञानात्मा । चैतन्यात्मा । न्याय वैशेषिक में आत्मा - बौद्ध दर्शन का अनात्मवाद ।। चार्वाक और आत्मा । सांख्य दर्शन में आत्मा - जीवास्तिकाय के लक्षण - उपयोग के प्रकार - ज्ञान के प्रकार - सहवादी और क्रमवादी । अनेकात्मा है - देहपरिमाण आत्मा - नित्यता तथा परिणामी अनित्यता . आत्मा कर्ता भोक्ता है - जीवों का वर्गीकरण और शुद्धात्मा का स्वरूप. कर्ममुक्त आत्मा. परिणामिक भाव - आत्मा और भाव (क) औपशमिक (ख) क्षायिकभाव (ग) मिश्र (घ) औदारिक भाव । संसारी जीवों का वर्गीकरण त्रस और स्थावर की अपेक्षा से - महावीर और वनस्पति - वनस्पति के भेद - त्रस जीवों के भेद । पंचेन्द्रिय के प्रकार - मनुष्य के जीवों के प्रकार - नैरयिकों के प्रकार - देवों के प्रकार - जीव और शरीर - आत्मा और चरित्र - लेश्या और जीव - कर्म और जीव - जीव और पर्याप्ति - आत्मा और गुणस्थान - पुण्य, पाप, बंध और जीव । आश्रव, संवर, निर्जरा और जीव । कर्म और आश्रव । संवर निर्जरा । बंध और मोक्ष - बंध और आश्रव का भेद - मोक्ष का स्वरूप- (क) पूर्व के संस्कार (ख) कर्म से असंग (ग) बंध छेद (घ) अग्निशिखावत् (च) मुक्ति की प्राप्ति के भेद - मुक्ति के साधन - जीव के अनेक नामों के कारण 4. अजीव का स्वरूप 135-207 - धर्मास्तिकायका लक्षण - कारण के प्रकार - धर्मास्तिकाय की उपयोगिता - अधर्मास्तिकाय का स्वरूप एवं लक्षण - अधर्मास्तिकाय की उपयोगिता - धर्मास्तिकाय- अधर्मास्तिकाय के अस्तित्व की सिद्धि - आकाशास्तिकाय का लक्षण और स्वरूप - चतुष्टयी की अपेक्षा लोक . आकाशास्तिकाय ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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