Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ (494 ) दण्डण् दण्डनिपातने गणण संख्याने पतण गतौ वा वातण गतिसुख–सेवनयोः कथण वाक्यप्रबन्धे छेदण द्वधीकरणे गदण् गर्ने अन्धण् दृष्ट्युपघाते स्तनण् गर्ने ध्वनण् शब्दे स्तेनण् चौर्ये उनण् परिहाणे रूपण रूपक्रियायाम् भामण् क्रोधे गोमण उपलेपने सामण सान्त्वने स्तोमण श्लाघायाम् व्ययण वित्तममुत्सर्गे सुत्रण विमोचने मूत्रण प्रस्रवणे पार, तीरण कर्मसमाप्तौ चित्रण चित्रक्रिया-कदाचिदृष्टयोः वरण ईप्सायाम् शारण दौर्बल्ये कुमारण् क्रीडायाम् कलण् संख्यान-गत्योः शीलण उपधारणे / वेल, कालण् उपदेशे पल्यूलण् लवन-पवनयोः गवेषण मार्गणे , पृ. 181 मृषण क्षान्तौ रसण आस्वादन-स्नेहनयोः वासण उपसेवायाम् निवासण आच्छादने चहण करकने महण पूजायाम् रहण त्यागे स्पृहण ईप्सायाम् / रूक्षण पारुष्ये / मृगणि अन्वेषणे
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