Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 792
________________ (481) ध. अ. पा. स. पृ. धनुर्दण्डत्सरुलाङ्गलाकुशर्षिय ष्टिशक्तितोमरघटाद् ग्रहः / 5 / 1 / 92 / 285 धागः / 4 / 4 / 15 / 311 धागस्तथोश्च / 2 / 1 / 78 / 111 धातोः कण्ड्वादेर्यक् / 3 / 4 / 8 / 223 धातोरनेकवरादाम् परोक्षायाः कृभ्वस्ति चानु तदन्तम् 3 / 4 / 46 / 92 धातोः सम्बन्धे प्रत्ययाः / 5 / 4 / 41 / 266 धाय्यापाय्यप्तानाम्यनिकाय्प मृग्मानहविर्निवासे / 5 / 1 / 24 / 270 धारीडोऽकृच्छ्रेऽतृश् . / 5 / 2 / 25 / 298 धारधैर् च / 5 / 1 / 113 / 288 धुड्हस्वाल्लुगनिटस्तथोः / 4 / 3 / 70 / 37 धूगौदितः / 4 / 4 / 38 / 23 / 4 / 2 / 18 / 182 / 4 / 4 / 85 / 22 धृषशसः प्रगल्भे / 4 / 4 / 66 / 312 धूगप्रीगोर्नः धूसुस्तोः परस्मै न कर्मणा जिच् / / 3 / 4 / 88 250

Loading...

Page Navigation
1 ... 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828