Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 808
________________ ( 497 ) अ. पा सू. पृ. वञ्चलंसध्वंसद्मशकसपतपदस्कन्दोऽन्तो नीः- / 4 / 1 / 50 / 200 वदवजलः वदोऽपात् / 3 / 3 / 97 / 240 वम्यविति वा / 4 / 2 / 87 / 13 . वर्तमाना तिव् तम् अन्ति , सिव् थस् थ, मिव् वस् मस, ते आते अन्ते, से आथे ने, ए वहे महे / 3 / 3 / / 2 . वर्तेवृत्तं ग्रन्थे / 4 / 4 / 3 / 312 वय॑ति गम्यादिः / / 5 / 3 / 1 / 367 वय॑ति हेतुफले .. / 5 / 4 / 25 / 264 वर्योपसर्यावधपण्यमुपेयर्तुमतीग- .. द्यविक्रेये .. . / 5 / 1 / 32 / 272 वर्षविघ्नेऽवाद् ग्रहः / 5 / 3 / 50 / 374 वशेरयङि / 4 / 1 / 83 / 97 वहाभ्राल्लिहः . . / 5 / 1 / 123 / 290 वह्य करणे / 5 / 1 / 34 / 272 वाऽऽकाङ्क्षायाम् / / 5 / 2 / 10 / 254 वाऽऽक्रोशदैन्ये / 4 / 2 / 75 / 309 32

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