Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ ( 503 ) अ. पा. सू. पृ. शेषे भविष्यन्त्ययदौ / 5 / 4 / 20 / 263 शोकापनुद-तुन्दपरिमृज-स्तम्बेरम-कर्णजपं-प्रियालस-हस्तिसूचके / 5 / 1 / 143 / 292 शंसिप्रत्ययात् / 5 / 3 / 105 / 371 शं-सं-स्वयं-वि-प्राद भुवो डुः / 5 / 2 / 84 / 305 श्नश्चातः / 4 / 2 / 96 / 91 भास्त्यो क् / 4 / 2 / 90 / 98 श्रुवोऽनाङ्-प्रतेः / 3 / 3 / 71 / 235 श्रसदवस्भ्यः परोक्षा वा / 5 / 2 / 1 / 253 श्रुद्रगुप्लुच्योर्वा . / 4 / 1 / 61 / 184 श्रौतिकृवुधिवुपाघ्रामाम्थाम्न:दाम दृश्यतिशदसदः शृकृधि. पिबजिघ्रघमतिष्ठमनयच्छपश्यछशीयसीदम् / 4 / 2 / 108 / 13 वादिभ्यः / 5 / 3 / 92 / 377 श्लिषः / 3 / 4 / 56 / 122 श्लिषशीस्थाऽऽसवसजनरुहज भजेः क्तः श्वयत्यसूवचपतः श्वास्थवोचपप्तम्। 4 / 3 / 103 / 80
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