Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
View full book text
________________ ( 511) अ. पा. स. पृ. हान्तस्थाञीड्भ्यां वा / 2 / 1 / 81 / 12 हिंसादेकाप्यात् / 5 / 4 / 74 / 396 हुधुटो हेधिः / 4 / 2 / 83 / 84 हगो गतताच्छोल्ये / 3 / 3 / 38 / 229 हगो वयोऽनुद्यमे / 5 / 1 / 95 / 285 हृषेः केशलोमविस्मयप्रतीपाते / 4 / 4 / 76 / 314 हेतुतच्छीलानुकूलेऽशब्दश्लोककलहगाथावैरचाटुसुत्रमन्त्रपदात् / 6 / 1 / 103 / 287 हो दः हः कालत्रीह्योः / / 5 / 1 / 68 / 281 शस्तनी दिक् ताम् अन् , सिव्. तम् त, अम्व् व म, त आताम्.. . अन्त, थासू आथाम् ध्वम्, इ वहि महि / 3 / 3 / 9 / 6 / 4 / 1 / 39 / 14 हस्वस्य तः पित्कृति / 4 / 4 / 113 / 273 ह्लादो हृद् क्तयोश्च / 4 / 2 / 67 / 307 ह्वः स्पर्धे . . / 3 / 3 / 56 / 233 हालिप्सिचः / 3 / 4 / 62 / 75 हस्वः
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/98c07522ee14280409a7414ac1051ac1c6698765f920127d233f05f1273bd99c.jpg)
Page Navigation
1 ... 820 821 822 823 824 825 826 827 828