Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ ( 512) __अ. पा. . . . / 4 / 3 / 15 / 87 हिणोरप्वितिव्यौ क्षिप्राशंसायोर्भविष्यन्तीसप्तम्यौ / 5 / 4 / 3 / 259 क्षुत्तगर्धेऽशनायोदन्यधनायम् / 4 / 3 / 113 / 219 क्षुब्धविरिब्धस्वान्तध्वान्तलग्नम्लिष्ट फाण्टबाढपरिवृढं मन्थस्वरमनस्तमःसत्तास्पष्टानायासभृशप्रभौ / 4 / 4 / 70 / 313 क्षेपे च यच्च-यत्रे / 5 / 4 / 18 / 263 क्षेपेऽपिनात्वोवर्तमाना / 5 / 4 / 12 / 261 क्षेमप्रियमद्रभद्रात् खाण् / 5 / 1 / 105 / 287 क्षेः क्षी चाध्याथें / 4 / 2 / 74 / 308 क्ष-शुषि-पचो म-क-वम् / 4 / 2 / 78 / 309 ज्ञप्यापो ज्ञीपीप् न च द्विः सिसनि ज्ञीप्सा-स्थेये ज्ञोऽनुपसर्गात् / 4 / 1 / 16 / 194 / 3 / 3 / 64 / 234 / 3 / 3 / .96 / 240 / 3 / 3 / 82 / 238
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