Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ (509 ) अ. पा. सू. पृ.. स्था-पा-ना-त्रः कः / 5 / 1 / 142 / 290 स्थेश-भास-पिस-कसो वरः / 5 / 2 / 81 / 305 स्पृशमृशकृषतृपदृषो वा / 3 / 4 / 54 / 53 स्पृशादिस्पो वा / 4 / 4 / 112 / 53. स्पृशोऽनुदकात् / 5 / 1 / 149 / 293 स्फाय स्फाव् . / 4 / 2. / 22 / 187 स्मिङः प्रयोक्तुः स्वार्थे / 3 / 3 / 91 / 239 स्मे च वर्तमाना / 5 / 2 / 16 / 255 स्मे पञ्चमी / 5 / 4 / 31 / 265 स्म्य नसहिंसदीपकम्पकमनमो रः। 5 / 2 / 79 / 304 स्वजश्च / 2 / 3 / 45 / 149 स्वब्जेर्नवा .. / 4 / 3 / 22 / 149 स्वपेर्यडू-डे च / 4 / 1 / 80 / 90. स्वरग्रहदशहन्भ्यः स्यसिजाशी:श्वस्तन्यां निड्वा / 3 / 4 / 69 / 244 . स्वरदहो वा / 3 / 4 / 90 / 251 स्वरहन्-गमोः सनि धुटि / 4 / 1 / 104 / 191 स्वरादुपमर्गाद दस्ति कित्यधः / 4 / 4 / 9 / 310 स्वरादेर्द्वितीयः . . / 4 / 1 / 4 / 103 स्वरादेस्तासु / 4 / 4 / 31 / 20. c
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