Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 815
________________ ( 504 ) ___ अ. पा. सू. . . पृ. श्वसनावरुषत्वरसंधुषास्वनामः / 4 / 4 / 75 / 314 श्वस्तनी ता तारौ तारस्, तासि तास्थस् तास्थ, तास्मि तास्वस् तास्मस् , ता तारौ . तारस् , ताले तासाथे ताध्ये, ताहे तास्वहे तास्महे . / 3 / 3 / 14 / 9 श्वेताश्वाश्वतरगालोडिताहुरकस्याश्वतरेतकलुक् / 3 / 4 / 45 / 221 / 4 / 1 / 89 / 190 श्वेर्वा षितोऽङ् / 5 / 3 / 107 / 380 ष्ठिवूलम्बाचमः / 4 / 2 / 110 / 51 स संख्याहर्दिवाविभानिशाप्रभाभाश्चित्रकर्नाद्यन्तानन्तकारबाहुरुधनुर्नान्दीलिपिलिविबलिभक्तिक्षेत्रजङ्घाक्षपाक्षणदारजनिदोपादिनदिवसाट्टः / 5 / 1 / 102 / 286 संचाय्यकुण्डपाय्यराजसूयं ऋतौ / 5 / 1 / 22 / 270

Loading...

Page Navigation
1 ... 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828