Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 813
________________ (902) ___ अ. पा. सू. ... शब्दादेः कृतौ वा / 3 / 4 / 39 / 218 शमष्टकाद घिनम् / 5 / 2 / 49 / 302 शमसप्तकस्य श्ये / 4 / 2 / 111 / 123 शमो नाम्न्यः / 5 / 1 / 134 / 291 शानदानमानवधान निशा- * नार्जवविचारवैरप्ये दीर्घश्वेतः। 3 / 4 / 7 / 195 शापे व्याप्यात् / 5 / 4 / 52 / 391 शासस्हनः शाध्येधिनहि / 4 / 2 / 84 / 94 शासूयुधिशिधृषिमृषातोऽनः / 5 / 3 / 141 / 388 शास्त्यसूक्तिख्यातेरङ् . / 3 / / 60 / 86 शीङ ए: शिति ... / 4 / 3 / 104 / 99 शीशद्धानिद्रातन्द्रादयिपति गृहिस्पृहेरालुः / 5 / 2 / 37 / 300 शीलिकामिभक्ष्याचरीक्षिक्षमोणः 5 / 1 / 73 / 282 शुनीस्तनमुनकूलास्यपुष्पात् ट्धेः / 5 / 1 / 119 / 289 शुष्कचूर्णरूक्षात् पिषस्तत्यैव / 5 / 4 / 60 / 393 शृमगमहनवृषभूस्थ उकण् / 5 / 2 / 40 / 301 शान्देरारुः / 5 / 2 / . 35 / 300 शेषात् परस्मै / 3 / 3 / 100 / 2

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