Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 812
________________ (501 ) - अ. पा. सु. पृ. व्यस्थवणवि . / 4 / 2 / 3 / 74 व्याघ्र प्रे प्राणिनशोः / 5 / 1 / 57 / 279 व्यापरे रमः / 3 / 3 / 105 / 242 व्याप्याच्चेवात् / 5 / 4 / 71 / 395 व्याप्यादाधारे / 5 / 3 / 8 1. 376 व्याप्ये घुरकेलिमकृष्टपच्यम् / 5 / 1 / 4 / 275 व्युदस्तपः / 3 / 3 / 87 / 239 व्येस्यमोङ / 4 / 1. / 85 / 202 बताभीक्ष्ण्ये / 5 / 1 / 157 / 294 ' श शकः कर्मणि / 4 / 4 / 73 / 314 शकितकिचतियतिशसिसहियजिभजिपवर्गात् / / 5 / 1 / 29 / 271 शकृत्स्तम्बाद् वत्सवीही कृगः / 5 / 1 / 100 / 286 शको जिज्ञासायाम् / 3 / 3 / 73 / 236 शत्रानशावेष्यति तु सस्यौं / 6 / 2 / 20 / 297 . शदेः शिति / 3 / 3 / 41 / 81 शदेरगतो शात् .. / 4 / 2 / 23 / 185 शप उपलम्भने / 3 / 3 / 35 / 229

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