Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ (495) ___ अ. पा. सू. पृ. युवर्णवृदृवशरणगमदग्रहः / 5 / 3 / 28 / 370 ये नवा / 4 / 2 / 62 / 71 खोः प्वय् व्यन्जने लुक् . / 4 / 4 / 121 / 189 रजःफलेमलाद ग्रहः / 5 / 1 / 98 / 286 रदादमूर्च्छमदः क्तयोर्दस्य च / 4 / 2 / 69 / 307 रध इटि तु परोक्षायामेव / 4 / 4 / 101 / 120 रमलभशकपतपदामिः / 4 / 1 / 21 / 195 रभोऽपरोक्षाशवि / 4 / 4 / 102 / 189 रम्यादिभ्यः कर्तरि . / 5 / 3 / 126 / 384 रात्रौ वसोऽन्त्ययामास्वप्तर्यद्य / 5 / 2 / / 253 राधेर्वधे . / 4 / 1 / 22 / 196 राल्लंकः / 4 / 1 / 110 / 213 रिरौ च लुपि / 4 / 1 / 56 / 205. रिः शक्याशी / 4 / 3 / 110 / 23 रुच्याव्यथ्यवास्तव्यम् / 5 / 1 / 6 / 275 रुत्पश्चकाच्छिदयः / 4 / 4 / / 89 रुदविदमुषग्रहस्वपप्रच्छः सन् च। 4 / 3 / 32 / 192 रुषः . . / 3 / 4 / 89 / 250 /
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