Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 804
________________ (493) ___. अ. पा. सू. पृ. मारणतोषणनिशान ज्ञश्च / 4 / 2 / 30 / 175 मिग्मीगोऽखल चलि / 4 / 2 / 8 / 132 मिथ्याकृगोऽभ्यासे / / 3 / 93 / 239. मिदः श्ये / 4 / 3 / 5 / 119 मिमीमादामित् स्वरस्य / 4 / 1 / 20 / 196 मुचादितृफहफगुफशुभोभः शे / 4 / 4 / 99 / 139 मुरतोऽनुनासिकस्य / 4 / 1 / 11 / 200 मूर्तिनिचिताभ्रे घनः / 5 / 3 / 37 / 372 मूल विभुनादयः / 5 / 1 / 144 / 292 मृगयेच्छायाच्ञातृष्णाकृपामाश्रद्धाऽन्तर्धा / 5 / 3 / 101 / 378 मृगोऽस्य वृद्धिः .. / 4 / 3 / 42 / 95 मेघर्तिभयाभयात् खः / / 1 / 106 / 287 म्रियतेरद्यतन्याशिषि च / 3 / 3 / 42 / 141 य एञ्चातः / 5 / 1 / 28 / 271 यतुरुस्तोर्बहुलम् / 4 / 3 / 64 / 104. यनादिवचेः किति / 4 / 1 / 79 / 73. यजा दिवश्वचः सस्वरान्तस्था: वृत् / 4 / 1 / 72 / 73

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