Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ ___ अ. पा. सू. पृ. भृतौ कर्मणः / 5 / 1 / 104 / 287 भृवृजितृतपदमेश्च नाम्नि / 5 / 1 / 112 / 288 भृशाभीक्ष्ण्ये हिस्वौ यथाविधि तध्वमौ च तद्युष्मदि / 5 / 4 / 42 / 267 भ्यादिभ्यो वा / / 5 / 3 / 115 / 381 भ्राज्यलंकृग्निराकृग्भूसहि. . रुचिवृत्तिवृद्धिचरिप्रजनापत्रप इष्णुः / 5 / 2 / 28 / 299 प्राजभासभाषदीपपीडजीवमी- . लकणरणवणभणश्रणहवेहेठ. लुटलुपलपां नवा / 4 / 2 / 36 / 173 भ्रासभ्लासभ्रमक्रमक्लमत्रसित्रुटिलषियसिसंयसेर्वा / 3 / 4 / 73 / 48 मन्वन्वनिविच क्वचित् / 5 / 1 / 147 / 293 मन्याणिन् / 5 / 1 / 116 / 289 मव्यविश्रिविज्वरित्वरेरुपान्त्येन / 4 / 1 / 109 / 212 मव्यस्याः / 4 / 2 / 113 // 4 मस्जेः सः / 4 / 4 / 110 / 143 माङयद्यतनी / 5 / 4 / 39 / 266
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