Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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________________ (490) भ अ. पा. . सू. . . पृ. भनो विण् / 5 / 1 / 146 / 293 भन्जि-मासि-मिदो घुरः / 5 / 2 / 74 / 304 मजेनों वा / 4 / 2 / 48 / 246 भवतेः सिज्लुपि / 4 / 3 / 12 / 11 भविष्यन्ती / / 5 / 3 / 4 / 9 भविष्यन्ती स्यति स्यतस् स्यन्ति, स्यसि स्यथस् स्यथ, स्यामि स्यावस स्यामस् / 3 / 3 / 15 / 10 भव्यगेयजन्यरम्यापास्याप्लाव्यं नवा / 5 / 1 / 7 / 275 भाण्डात् समाचितौ. / 3 / 4 / 40 / 219 भावकर्मणोः / 3 / 4 / 68 / 244 भाववचनाः / 5 / 3 / 15 / 368 भावाकोः / 5 / 3 / 18 / 368 भावे / 5 / 3 / 122 / 383 भावे चाशिताद् भुवः खः / 5 / 1 / 130 / 297 भावेऽनुपसर्गात् / 5 / 3 / 45 / 373 मित्तं शकलम् / 4 / 2 / 81 / 310 भिदादयः / 5 / 3 / 108 / 380
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