Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 771
________________ (460) - अ. पा. सू. पृ. अतः शित्युत् / 4 / 2 / 89 / 68 अदश्वाट् / 4 / 4 / 90 / 84 * अदुरुपसर्गान्तरो गहिनुमीनानेः / 2 / 3 / 77 / 5 अदोऽनन्नात् / 5 / 1 / 150 / 293 अद्यतनी * / 5 / 2 / 4 / 11, 253 अद्यतन्यां वा स्वात्मने / 4 / 4 / 22 / 97 अद्यर्थाचाधारे / 5 / 1 / 12 / 227 / 5 / 4 / 32 / 266 / 5 / '3 / 124 / 384 अनतोऽन्तोऽदात्मने / 4 / 2 / 114 / 13 अनद्यतने श्वस्तनी . / 5 / 3 / / 5 / 9 अनद्यतने ह्यस्तनी / 5 / 2 / 7 / 6 अनातो नश्चान्त ऋदाद्यशौ- . . संयोगस्य / 4 / 1 / 19 / 32 अनादेशादेरेकव्यञ्जनमध्येऽतः / 4 / 1 / 24 / 28 अनुनासिके च च्छ्वः शुट / 4 / 1 / 108 / 194 अनुपसर्गाः क्षीवोल्लाघ-कृश-परिकृश फुल्लोत्फुल्लसंफुल्लाः / 4 / 2 / 80 / 310 अनोः कर्मण्यसति / 3 / 3 / 81 / 237 अधीष्टो अनट्

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