Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 789
________________ (478) अ. पा. सू. . तपेः कर्बनुलापे च / 3 / 4 / 91 / 247 तपेस्तपःकर्मकात् / 3 / 4 / 85 / 252 तव्यानीयौ / 5 / 1 / 27 / 271 तिक्कृतो नाम्नि / 5 / 1 / 61 / 282 ति चोपान्त्यातोऽनोदुः / / 4 / 1 / 54 / 199 तिर्यचापवर्गे / 5 / 4 / 85 / 400 तिर्वा ष्ठिवः / 4 / 1 / 43 / 51 तिवां णवः परस्मै / 4 / 2 / 117 / 95 तिष्ठतेः / 4 / 2 / 39 / 185 तुदादेः शः / 3 / 4 / 81 / 137 तुमर्हादिच्छायां सन्नतत्सनः / 3 / 4 / 21 / 191 तृषिधृषिस्वपो नजिङ् / 5 / 2 / 80 / 305 तृहः शादीत् / 4 / 3 / 62 / 155 तत्रपफलभजाम् / 4 / 1 / 25 / 25 ते कृत्याः / 5 / 1 / 47 / 274 त्यदाद्यन्यप्तमानादुपयानाद्-. / 5 / 1 / 152 / 294 त्रसि-गृधि-धृषि-क्षिपः कनुः / 5 / 2 / 32 / 299 त्रीणि त्रीण्यन्ययुष्मदस्मदि / 3 / 3 / 17 / 2 थे वा / 4 / 1 / 29 / 133

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