Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 775
________________ (464) अ. पा. सु. . . पृ. आस्यटि-बन्-यनः क्यप् / 5 / 3 / 97 / 378 आहावो निपानम् / 5 / 3 / 44 / 373 इकिस्तिव स्वरूपार्थे / 5 / 3 / 138 / 387 . इको वा / 4 / 3 / 16 / 86 इङितः कर्तरि / 3 / 3 / 22 / 226 इङितो व्यञ्जनाद्यन्तात् / 5 / 2 / 44 / 301 इङोऽपादाने तु टिद् वा / 5 / 3 / 19 / 368 इच्छार्थे सप्तमी-पञ्चम्यौ / 5 / 4 / 27 / 264 इट ईति / 4 / 3 / 71 / 18 इट् सिजाशिषोरात्मने / 4 / 4 / 36 / 133 इडेत् पुसि चातो लुक् / 4 / 3 / 94 / 14 इणः / 2 / 1 / 51 / 87 इणिकोर्गा / 4 / 4 / 23 / 87 इन्ध्यसंयोगात् परोक्षा किद्वत् / 4 / 3 / 21 / 32 इरम्मदः / 5 / 1 / 127 / 29. इदरिद्रः / 4 / 2 / 98 / 91 इश्व स्थादः / 4 / 3 / 41 / 60 इषोऽनिच्छायाम् / 5 / 3 / 112 / 381 इसासः शासोऽडूज्यञ्जने / 4 / 4 / 118 / 94

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