Book Title: Dharmdipika Vyakaranam
Author(s): Mangalvijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 776
________________ ईगितः (415) ____ अ. पा. मू. पृ. / 3 / 3 / 95 / 1 / 4 / 1 / 67 / 180 / 4 / 3 / 97 / 201 / 4 / 4 / 87 / 101 ई च गणः ईय॑जनेऽयपि ईशीडः सेवेस्वध्वमोः W उत और्विति व्यन्जनेऽद्वेः / 4 / 3 / 19 / 88 उति शवद्भ्यः कतौ भावारम्भे / 4 / 3 / 26 / 306 उत्स्वराद् युजेरयज्ञतस्पात्रे / 3 / 3 / 26 / 227 उदः पचिपतिपदिमदे: / 5 / 2 / 29 / 299 उदकोऽतोये / 5 / 3 / 135 / 387 उदितः स्वरान्नोऽन्तः / 4 / 4 / 98 / 28 उदोऽनूहे / 3 / 3 / 62 / 234 उपपीड-रुध-कर्षस्तत्सप्तम्याः। 5 / 4 / 75 / 397 उपसर्गस्यायो / 2 / 3 / 100 / 64 उपसर्गात् सुगसुवसोस्तुस्तुभोऽट्यप्य / 2 / 3 / 39 / 131 उपसर्गादस्योहो वा / / 3 / 3 / 25 / 227 उपसर्गादातः / 5 / 3 / 110 / 380 30 द्वित्वे


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