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दिया, उन्हीं के अनुयायी, उसमें भी बौद्ध श्रमण या भिक्षु हिंसा का
आश्रय ले, या धर्म के मामलों में हिंसा को उत्तेजन देनेवाले झगड़े करें, यह तथागत की भावना के साथ जरा भी संगत नहीं है। इसी तरह अन्य धर्मी लोगों को दुःखी करने एवं धर्म के नाम पर दंगे करने से रंगून, बरमा तथा एशिया के अन्य प्रदेशों में इसका बुरा चेप लगने का भय है। और इस से नवजात लोकतंत्र एवं संस्कृतसमाज की सभ्यता को भी खतरा पहुँचेगा। इसकी प्रगति को धक्का पहुँचेगा। अतः हम प्रत्येक बौद्ध धर्मी गृहस्थों और साधुओं से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि वे इस दुधार्य की कड़ी आलोचना करें और भविष्य में उन्हें ऐसा करने से रोके। साथ ही जिन मुस्लिमधर्मी लोगोंकी भावनाको आघात पहुँचा है, उनमें क्षमा मांगे।"
“ साथ ही, मुस्लिम भाईयों से भी हम यह विनति करते हैं कि वे इस बारे में उठारता का परिचय देकर संघर्ष को आगे बढ़ने से रोक । इस प्रसंग पर जिन्हें सहन करना पड़ा है, उन्हें हम अपनी हार्दिक सहानुभूति प्रेसित करत हैं।"
“गज्य ने कटोर कदम उठा कर अन्य धर्मियों की रक्षा करने का अपना धर्म बज्ञाया, इस से संतोष है, लेकिन एक धर्म को ही राज्यधर्म बना देनेकी भूल में से बेसमझ धर्म-प्रेमियों में धर्मान्धता फैलने
और अन्य धर्मियों पर जुल्म करने का मौका मिल जाता है। इसमें से गलन परंपरः खड़ी होती है। अतः राज्यधर्मी बने तभी सर्वात्मभाव को समर्थन मिल सकता है।"
-'संतवाल'
प्रेरफ, साधु-साध्वी शिविर । એક દિવસ શિબિરને કાર્યક્રમ ચાલતો હતો, ત્યાં શિબિરાર્થી ભાઓના નિવાસના પટકામાં એક ગઠિયે પેસી ગયો અને વાસુદેવ બ્રહ્મચારીનું ઘડિયાળ અને પેન લઈને ચાલતે થયા. બ્રહ્મચારીજીના મનમાં સહેજ શ કા ગઈ, એટલે તરત જ પડકક્ષમાં જઈ પોતાનું Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com