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धन्ना०
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| सुपलाय हो ॥ ६० ॥ सु • ॥१३॥ देखी पुत्रने नलख्यो हो लाल, सु० ॥ हरख्यो तन म न ताम हो ॥ ० ॥ ० ॥ पूनम चंड्थी नदधिनो हो लाल, सु० ॥ जिम किल्लोल नद्दाम | हो ॥ ६० ॥ सु० ॥ १४ ॥ स्नान प्रमुख सवि साचवी हो लाल, सु०॥ भूषण वस्त्र नदार | हो ॥ घ० ॥ सु० ॥ जोजन जगति करी जली हो लाल, सु० ॥ थाप्या गूप्तागार हो ॥ घ० ॥ सु० ॥ १५ ॥ एहवे शीलवती सती हो लाल, सु०॥ पति प्रेमे तिथिवार हो ॥ घ० ॥ सु० ॥ श्रावी धनपति मंदिरे दो लाल, सु०॥ करे प्राकंद पोकार हो ॥६०॥ सु०॥ १६ ॥ रे पापी मु ज वधु मणी हो लाल, सुगा राखी कीध अन्याय हो ॥ ६० ॥ सु० ॥ वली जट्ट पासे माद रो दो लाल, सु॥ कंत ग्रहाव्यो शे न्याय हो ॥ घ० ॥ सु० ॥ १७ ॥ न्याय न दीसे गाममां हो लाल, सुन एक घरे एह राज्य हो ॥ ६० ॥ सु० ॥ वसते गामे वाशियो हो लाल, सु० ॥ ए वो करे प्रकाज हो ॥६०॥ सु० ॥ १८ ॥ वर वधु ए बे मुज प्रते दो लाल, सु० ॥ द्यो कहुँ tear || || नहितर पिए मुज कंतने हो लाल, सु०॥ मूकंतां शुं जाय हो ॥ घ०सु०॥१॥ जीर्ण जराये जाजरो दो लाल, सु०॥ चिंताथी ? कृष गात्र हो ॥ ६० ॥ || वो पिए पति माहरो हो लाल, सु०॥ मूकने तूं गुएापात्र हो ॥ ६० ॥ सु० ॥ २० ॥ १ सुकाई गएला शरीरवालो.
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