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धन्ना० पुण्यनो जी॥ए आंकणी ॥१०॥ तस कांता हो राज गुणावली गुणनीली जी, सतीस 13/ कल मांहे शिरदार ॥ गुण ॥ पुत्रि रूयमी हो राज कला गुण वेलमी जी, नाम गीतकला | तस सार ॥गु०॥न॥११॥ कला चोश हो सज अंगे आवी वसी जी, वली नाम तिसो
परिणाम ॥ गु० ॥ एक दिवसे हो राज सखीथी परिवरी जी, कांश पदोती नद्यान सुगम P॥गु०॥न०॥१॥स्नान कीधो होराज पुष्करणीथी तिहां जी, देखे पुष्पादिक मनोहार
गुण॥ लेई वीणा हो राज गावे शुज स्वरथकी जी, ग्राम रागमें विविध प्रकार ॥ गु०॥ न०॥१३॥ स्वर लीना हो राज कुरंग पाव्या वही जी, वलि नाग प्रमुख बहु जीव ॥ ४ गु०॥ स्वर रूमो हो राज अखुट ए निधि कह्यो जी, वली आणंद करण सदैव ॥गुवान. १४॥ यतः॥मालिनीवृत्तम्. ॥ सुखिनिसुख निधानो खितानां विनोदः, श्रवण हृदयP हारी मन्मथस्याग्रदूतः॥ अति चतुर सुगम्यो वल्लनः कामिनीनां, जयति जगति नादः पं.
चमचोपवेदः॥१॥नावार्थः-सुखी पुरुषने सुखनो निधान, फुःखी पुरुषोने विनोद कार18क, कान तथा मनने हरण करनार, कामदेवनो अग्रदूत, चतुर पुरुषने सहेलाश्थी समजाय है तेवो, स्त्रीनने वजन्न अने चार वेद उपर जाणे पांचमो नपवेदज होय नहि! एवो जे सुस्वर,
ते जगतूने विषे जयवंतो वों ॥१॥ एक आवी हो राज मृगी स्वरथी तिहां जी, लयली.
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