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लाल प्र०, श्राव्या तुम परसाद मगध में मालता हो लाल म० ॥ देखो स्वामी वस्तु सुव स्तु सुनावथी हो लाल सु०, अगनिमें नांखे मेल तजे एह दावथी हो लाल त० ॥ २ ॥ मूल सवालख दाम एकेका वस्त्रना हो लाल ए०, नृप कहे श्रमे प्रासक्त प्रमूलिक शस्त्र ना हो लाल प्र० ॥ गज अश्वादिक काज श्रमे धन वावरूं हो लाल अ० लाख गमे धन | देय कंबलने शुं करूं हो लाल कं० ॥ ३ ॥ तव ते मूकी निसास कठीने चालीया हो लाल ॐ०, शालिकुमर श्रावास समीपे मालीया हो लाल स० ॥ कहे अन्योन्ये एम आपण सवि पांतरया हो लाल प्रा०, देई दाम के लक्ष कंबल पासे धयां दो लाल क० ॥ ४॥ राजगृही में एक खप्यो नही कंबलो हो लाल ख०, कहो कुल नगरने गाम होशे एहथी मलो हो लाल हो० ॥ नये ते वात गवादे सांजली हो लाल ग०, बोलाव्या ते ताम व्यापारी कहे वली हो लाल व्या० ॥ ५ ॥ नृप सरिखे कस्यो लोन पोनालो देखिने हो लाल थोर, तुमे पिस विफल प्रयास करावशो पेखिने हो लाल क० ॥ न कहे हो चात ! कंबल बेकेटला हो लाल कं०, ते कहे सोल प्रमाण अमे लाव्या जवां हो बाल अ० || ६ || माहरे वहु बत्रीश सवे गुण शोजती हो लाल स०, आएं केहने वस्त्र टालुं केदने बती हो लाल टा० ॥ लावो जो बत्रीश तो सघलां राखीए हो लाल स०, लान
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