Book Title: Dhanna Shalibhadrano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 251
________________ SAHASRAESS शं रे, बेसारे तेणिवार ॥ सनेही साजना ॥१॥ए आंकणी ॥ शा माटे संयम ग्रहो रे, 2 आ यावन वय मांह ॥ स०॥नोगविये लक्ष्मी नली रे, रहो मुज बांदनी गंद ॥स०॥॥ शालि कहे तव रायने रे, तुमे कह्यो ते सवि साच ॥स०॥ जन्म मरण नयथी सदा रे, राखी सको कहो वाच ॥ स० ॥३॥ श्रेणिक कहे एहश्री सवे रे, नय पामे सवि जीव ।। है स ॥ अरिहंत विण नवि एहनो रे, नय वारण ते सदैव ॥ स०॥॥ शालि कहे ते नयन। णी रे, टालवा लि चारित्र ॥ स ॥ तव श्रेणिक शालिनइने रे, नमण करावे पवित्र ॥ स०॥५॥ पूजा श्री जिनराजनी रे, विरचे सत्तर प्रकार ॥स० ॥ अष्टायिक नबव करे रे, खरचे दाम अपार ॥स॥३॥अनुकंपादिक अतिघणारे, देवरावे तिशिवार ॥स०॥का श्यपने तेमे तदा रे, ये तस लक्ष दीनार ॥ स०॥७॥ चार अंगूल वरजी सवे रे, समरावे 8 शिर केश ॥ स०॥ तव नज्ञ रोती थकी रे, पालव ग्रहे सुविशेष ॥स०॥॥धोई सुवासित नीरथी रे, धूपे धूपे तास । स०॥ तिथि परवे ए देखशुं रे, पुत्रना केश प्रकास॥सणाए॥ रत्नकरम थापिने रे, राख्या यतने तेह ॥ स०॥ नव दीवानो तिहां रे, श्रेणिक करे सस नेह ॥ स०॥१॥ पुनरपि स्नान कराविने रे, वस्त्रान्तरण विशेष ॥सण। पहिरावे प्रेमे करी Jain Educatio I national For Personal and Private Use Only Onlinelibrary.org

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