________________
Jain Education
राजगृही रलियामणी रे, किम शणगारी एस ॥ एता दिन लगें एहवी, नवि दीव हुती नेरे ॥ ० ॥ ७ ॥ न तव भूपति प्रते रे, वधावी कहे वेल || राज पधारो ऊपरे, जुन मंदिर मचो सेल रे ॥ श्रे० ॥ ८ ॥ प्रथम भूमि जोते थके रे, विस्मय मनमें होय ॥ सुह गो के साचो अबे, म न टले चित्त कोय रे ॥ ० ॥ ए ॥ तिम वली बोजी भूमिका | रे, निरखी दरखित श्राय ॥ जश कहे ऊपर तुमे, पान धारोने महाराज रे ॥ श्रे० ॥ १० ॥ त्रीजी भूमि जोते थयो रे, राजा विक्रम चित्त ॥ शुं देवलोके यावियो, कोई देव थकी व री प्रीत रे ॥ ० ॥ ११ ॥ तव जज्ञ कहे इहां रहे रे, अमचा दासी दास ॥ स्वामी पधारो ऊपरे, जिहां शालिकुमर प्रवास रे || श्रे० ॥ १२ ॥ चोथी भूमिना चोकमां रे, आवे नू धव जाम ॥ नजरे जल सम निरखीयो रे, कर पामी ऊनो रह्यो ताम रे ॥ श्रे० ॥ १३ ॥ ये ततक्षण मुकिा रे, नांखी प्रत्यय काज ॥ राज्य पधारो रंगमें, मलिपीठ राज रे ॥ श्रे० ॥ १४ ॥ राजा कहे प्रमथी हवे रे, आगें तो न श्रवाय ॥ शालिकुमरने क्रम कने, तेमी लावोने इसे ठाय रे ॥ ० ॥ १५ ॥ सिंहासन तिहां मांगियो रे, बेग श्रेणि क राय ॥ तव जानककी, शालिकुमरने तेल जाय रे ॥ श्रे० ॥ १६ ॥ जड़ने क को नानमा रे, सुपरे करी व्यवहार | श्रेणिक अंगण आविया रे, इहां करवो कवण वि
महा
national
For Personal and Private Use Only
ainelibrary.org