Book Title: Dhanna Shalibhadrano Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek,
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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घन्ना० नयकुमर पिण भावी इम कहे जी, धन्य धन्य धन्नोशाह सुजाण रे ॥ धन्य धन्य ए परि-न १२० कर रामातणो जी, पतिवृता बिरुद ते एह प्रमाण रे ॥ ए.॥१३॥ ए वय ए धन एहवी
अंगना जी, तजीने जे लेवे संयम नार रे॥ते तो न्यायेथी शिवरमणी वरे जी, इम सहु
जंपेनरने नार रे ॥ ए०॥ १४ ॥ वाजां तिहां वाजे विविध प्रकारनां जी, जय जय बोले || चारण नाट रे ॥ दान धराये वरसे तेदने जी, मिलिया तिहां नर नारीना श्राट रे ॥ए ।
१५॥ धन्नोशाह संयम लेवा संचरे जी, प्रमदाथी सोहे जेहवो इंदरे ॥ ढाल नगणीशमी चोथा नल्हासनी जी, कही म बुध जिनविजये अमंद रे ॥ ए०॥ १६ ॥
॥ दोहा. ॥ वात सुगी धनातणी, जे ए लेवे दीख ॥ आवे स्त्री साथे अधिक, सुणी है सुन्नज्ञ शीख ॥१॥परिग्रह सघलो परिहरी, मी माया मोह ॥ संयम लेवा संचरे, जि।
म रण तृमि जोह ॥२॥शालिन्न चित चिंतवे, जून धन्नानी वात ॥ वचन थकी वामी करी, चाल्यो करि अखियात ॥ ३ ॥ हुं एकेकी दिनप्रते, बंमू रमणी जेह ।। कायर ध-18 ने जे कह्यो, तेहमां नही संदेह ॥४॥ जो गेमणनो मन थयो, तो तिहां किशो विलंब ॥ म चिंतीनज्ञ कने, आवे अति अविलंब ॥५॥पय प्रणमीने वीनवे, में तुम वयण प्रमा
१ जोहो.
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ॐ
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