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लम वेला साधी करी, परणावी हे नृपे कन्या तेह के । दीघो बहुलो दायजो, वली दीधां हे अति सुंदर गेह के । पु० ॥५॥ नृप आग्रहे धन्नशाह जी, रहे रंगे हे स्त्री त्रिण्ये साथ के 8
॥ विलसे नोग नली परें, नृप पूरे हे तस बहुली आथ के ॥ पु०॥६॥ अथ नृप मंत्री सु . गुप्तनी, पुत्री रूमी हे सरस्वति अनिधान के ॥ विद्यागुणश्री सरस्वती, कला कोविद है २ वली रूप निधान के ॥ पुण्॥ ॥ बुद्धि परीक्षण कारणे, गूढार्था हे. प्रहेलिका कहे एक
के ।। एहनो अर्थ कहे जिके, ते वरवो हे वर मननी टेक के ॥ पुण् ॥ ॥ प्रहेलिका यथा ॥ अनुष्टुब्वृत्तम्. ॥ गंगाय दीयते दानं, एक चित्तेन नाविना ॥ दातारो नरकं यांति, प्रति | ग्राही न जीवति ॥१॥ नावार्थः-एक चित्ते थइने गंगानदी नपर दान अपाय , परंतु ते । दान आपनारो मरीने नरकमां जाय अने दान लेनारो मरण पामे ! एवं शुं हो ? १॥ जण जण अर्थ करे जूा, नवि बेसे हे कोई अर्थ विशु के ॥ धन्ने पिण सुणो अन्य
दा, तस अर्थनो हे लिखे श्लोक सुशुःइ के ॥ पु०॥ ॥ श्लोक यथा ॥ मीनोग्राही पलं दे। हाय, कन्ये दातात्र धीवरः ॥ फलं यजायते तत्र, स्तयोःतविदितं जिनैः ॥॥नावार्थः
धनकुमरे पाबला श्लोकना नत्तरमां का के, हे कन्या! इहां दान लेनार माउलां, आपवा है। । योग्य दान ते गल (पल) अने दान आपनारो पारधी जाणवो. तेमां दान लेनारने. अने ।
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