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________________ 1- 4 लम वेला साधी करी, परणावी हे नृपे कन्या तेह के । दीघो बहुलो दायजो, वली दीधां हे अति सुंदर गेह के । पु० ॥५॥ नृप आग्रहे धन्नशाह जी, रहे रंगे हे स्त्री त्रिण्ये साथ के 8 ॥ विलसे नोग नली परें, नृप पूरे हे तस बहुली आथ के ॥ पु०॥६॥ अथ नृप मंत्री सु . गुप्तनी, पुत्री रूमी हे सरस्वति अनिधान के ॥ विद्यागुणश्री सरस्वती, कला कोविद है २ वली रूप निधान के ॥ पुण्॥ ॥ बुद्धि परीक्षण कारणे, गूढार्था हे. प्रहेलिका कहे एक के ।। एहनो अर्थ कहे जिके, ते वरवो हे वर मननी टेक के ॥ पुण् ॥ ॥ प्रहेलिका यथा ॥ अनुष्टुब्वृत्तम्. ॥ गंगाय दीयते दानं, एक चित्तेन नाविना ॥ दातारो नरकं यांति, प्रति | ग्राही न जीवति ॥१॥ नावार्थः-एक चित्ते थइने गंगानदी नपर दान अपाय , परंतु ते । दान आपनारो मरीने नरकमां जाय अने दान लेनारो मरण पामे ! एवं शुं हो ? १॥ जण जण अर्थ करे जूा, नवि बेसे हे कोई अर्थ विशु के ॥ धन्ने पिण सुणो अन्य दा, तस अर्थनो हे लिखे श्लोक सुशुःइ के ॥ पु०॥ ॥ श्लोक यथा ॥ मीनोग्राही पलं दे। हाय, कन्ये दातात्र धीवरः ॥ फलं यजायते तत्र, स्तयोःतविदितं जिनैः ॥॥नावार्थः धनकुमरे पाबला श्लोकना नत्तरमां का के, हे कन्या! इहां दान लेनार माउलां, आपवा है। । योग्य दान ते गल (पल) अने दान आपनारो पारधी जाणवो. तेमां दान लेनारने. अने । 45-56256 551515- in Educational For Personal and Private Use Only IT ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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