Book Title: Dhamvilas
Author(s): Dyantrai Kavi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ दर्शनदशका देखे प्रोजिनराज, आज नव विघन क्लिाये। देखे श्रीजिनराज, आज सब मंगल आये // देखे श्रीजिनराज, काज करना कछु नाहीं। देखे जिनराज, होन पूरी मनमाहीं // तुन देते श्रीजिनराजपद, भौजल अंजुलिजल भया। चिंतामनि पारस कलपतल, मोह सबनिसौं उठि गया // 1 // देखें श्रीजिनराज, भाव अघ जाहिं दिसंतर। देखे श्रीजिनराज, काज सब होंइ निरंतर // देख श्रीजिनराज, राज मनवांछित करिए। देव श्रीजिनराज, नाथ दुख कबहुं न भरिए / तुम देखे श्रीजिनराजपद, रोमरोम सुख पाइए। पनि आजदिवस धनि अत्र घरी,माय नाथकों नाइए // 2 // वन्य धन्य जिनधर्म, कर्मको छिनमैं तोरें। धन्य धन्य जिनधर्म, परमपदसों हित जोरै // वन्य धन्य जिनधर्म, मर्मको मूल मिटावै / वन्य धन्य जिनधर्म, सर्मकी राह बतावै / / जग धन्य धन्य जिनधर्म यह, सो परगट तुमने किया। भवि खेत पाप-तप तपतकों, मेघरूप है सुख दिया।॥ 3 // (61) वारिधिसम गुण कहूं, खारमैं कौन भलप्यन / पारससम जस कहूं, आपसम करै न पर-तन // इन आदिपदारथ लोकमैं, तुम समान क्यों दीजिये / तुम महाराज अनुपमदसा, मोहि अनूपम कीजिये // 8 // तब विलंब नहिं कियौ, चीर द्रोपदिको वाट्यौ / तव विलंब नहिं कियौ, सेठ सिंहासन चाढ्यौ // तब विलंब नहिं कियौ, सियात पावक टायौ। तव विलंब नहिं कियौ, नीर मातग उवाखौ // इहविधि अनेक दुख भगतके, चूर दूर किय सुख अवनि। प्रभु मोहि दुःख नासनविर्षे, अव विलंब कारन कवना॥५॥ कियौ भौन्ते गौन, मिटी आरति संसारी। राह आन तुम ध्यान, फिकर भाजी दुखकारी॥ देखे श्रीजिनराज, पापमिथ्यात विलायौ / पूजा थुति बहु भगति, करत सम्यकगुन आयौ // . इस मार्रवार संसारमैं, कल्पवृक्ष तुम दरस है। प्रभु मोहि देहु भौभौविपें, यह वांछा मन सरस है // 6 // जै जै श्रीजिनदेव, सेव तुमही अघनासक / जै जै श्रीजिनदेव, भेवं पटद्रव्य प्रकासक // जै जै श्रीजिनराज, एक जो पानी ध्यावै / जै जै श्रीजिनदेव, देव अहमेव मिटावै // तेज सूरैसम कहूं, तपत दुखदायक प्रानी। कांति चंदसम कहूं, कलंकित मूरति मानी // कल्याणकी, आत्माहत की। पापरूपअनिसे तप्त / 3 सूर्यासदृश / 1 पराये शरीरको अर्थात् दूसरी धातुओंको। 2 पटतर, उपमा / 3 जलमैसे। 4 हाथी / 5 पृथ्वीमें। 6 घरसे / 7. गमन। 8 मारवाडरूपी (वृक्षरहित सूखेदेश) संसारमें / 9 भेद। .. .. Scanned with CamScanner

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143