Book Title: Dhamvilas
Author(s): Dyantrai Kavi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay
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________________ विफल अजर (136) देवी मगायती कनक तन, अमल अचल अविकार सिर नाय नमो० // 20 // शुनिगुमत / मुनिसुप्रत प्रत वर्ग, स्वर्ग मानतकै थानी। भूप सुमित्र पवित्र, मित्र सुभ सोमा रानी। राजगृहीम आय, काय कज्जल छवि छाजै। वरस सहस थिति तीस, बीस तन चाप वित लच्छन कछुआ आसन खरग, दीनदयाल दयान सिर नाय नमो० // 21 // नामिनाथ / नमि नमि सुरनरराज, राज सरवारथसिधि कर। विजयराज महाराज, विप्पला रानी उर धर // आव वरस दस सहस, पुरी मिथिला सुखदाई / पंद्रे धनुप सरीर, खरगआसन लौ लाई // तन कनक वरन लच्छन कमल,ग्यान भान हर भ्रम तिमर सिर नाय नमी० // 22 // नेमिनाथ / नेमि धरम-रथ-नेमि, जयंत विमान वास किय / समुदविजै महाराज, सिवादेवी जानौ जिय // नगर द्वारिका नाम, स्याम तन जन-मन-हारी। आव वरस इक सहस, चाप दस रजमति छाँरी॥ खरगासन आसन मोखकौ, संख चिन्न हरिवंस-नर / सिर नाय नौ० // 23 // (137) पार्थनाथ / पास पास अघ नास, बास प्रानत करि आए। अवसन अवदात, मात वामा मन भाए // नगर वनारसि थान, जान फनि लच्छन नामी / आव एक सौ वरस, खरग आसन सिवगामी.॥ तनहरित वरन नव कर धरन,वज्र प्रगट संवर सिखर। सिर नाय नमी० // 24 // वर्धमान / वर्धमान जस वर्धमान अच्युत विमान गति / नगर कुंडपुर धार, सार सिद्धारथ भूपति // रानी प्रियकारनी, वनी कंचन छवि काया / आव वहत्तर वरस, जोग खरगासन ध्याया // तन सात हाथ मृग नाथपति,तुमतें अवलौं धरम जर। सिर नाय नमों जुग जोरि कर,०॥ 25 // समुच्चय चौबीस तीर्थंकर / रिपभ अजित संभव अभिनंदन सुमति पदम सम / जिन सुपास प्रभु चंद, सुविधि सीतल स्रेयांस नम // वासपूज्यजी विमल, अनंत धरम पंदरमा / सांति कुंथु अर मल्ल, सु मुनिसोविरत वीसमा // नमि नेमि पास वीरेस पद, अष्ट सिद्धि नौ रिद्धि धर। सिर नाय नमो० // 26 // पांच कुमारतीर्थकर / वासुपूज्य सुरपूज्य, मल्ल विधिमल्लजयंकर / नेमि देह जम नेम, पास भौ-पास-छयंकर // 1 दो पुस्तकोंमें 'ब्राह्मी' पाठ है। Scanned with CamScanner

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