Book Title: Dhamvilas
Author(s): Dyantrai Kavi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 78
________________ (134) विस्वसैन नृप तात, मात ऐरा मृगलंछन / धनापुरमै आय, काय चालीस धनुष तन // शिति लाख वरस आसन पदम, नाम रट अप जाय टर। तिर नाय नमो० // 17 // कुंभुनाथ / विमलनाथ। विमल विमल अवलोक, लोक द्वाद-स बसस कंपिल्लापुर आय, काय कंचन जग नामी // कृतवर्मा भूपाल, भाल जयस्यामा माता। सकर चिन्न निसान, साठि धनु तन अति साता। थिति साठि लाख वरसनसुखी,खरगासन सवतेंजु सिर नाय नमौ० // 14 // ____अनंतनाथ / सुगुन अनंत अनंत, अंत सुर सोल जिनेवर। सिंघसैन नृपराय, माय जयस्यामाके घर // कनक वरन परगास, तास पंचास चाप तन। आव लाख है तीस, ईसको सेही लंछन // खरगासन कौसलपुर जनम, कुसल तहां आठौं पहरा सिर नाय नमौं० // 15 // धर्मनाथ / धर्म धर्म परकास, वास सरवारथसिध भुव। भान राज जस ख्यात, मात सुप्रभादेवी हुव // खरगासन निहपाप, चाप चालीस पंच तन / आव लाख दस वरस, सरस कंचनमय है तन // लखि वन चिन्न सुभ रतन पुर, पार न पावै सुर निकर / सिर नाय नमो० // 16 // शांन्तिनाथ / सांति जगत सव सांति, भोगि सरवारथसिधि रिधि / कामदेव तन कनक, रतन चौदहौं नवौं निधि // कुंथु कुंथु रखवार, सार सरवारथसिधि वस / हस्तिनागपुर आय, काय चामीकर हर सस // सूरसैन नृप जैन, ऐन नीकांता सुभ मन। पंचानबै हजार, वरस पैंतीस धनुप तन // खरगासन लंछन छाग सुभ, तारे जिन वैराग धर। सिर नाय नमो० // 18 // अरनाथ। अर अरि-करि-हर सिंघ, जयंत विमान जानि जन। भूप सुदरसन सार, मित्रसैना माता भन / हस्तिनागपुर आय, चाप तन तीस विराजै। थिति चौरासी सहस, वरस कंचन उवि छाजै / / खरगासनलंछन मीन सुभ,बैन जलद सर-भविक भर। सिर नाय नमो० // 19 // मल्लिनाथ / मल्लि करम-रिपु-मल्ल, धान अपराजित जानौ। मिथिलापुर अवतार, सार घट चिन्न पिछानौ।। कुंभराज महाराज, खरगआसन सरदहिये / धनुप पचीस सरीर, सहस पचपन धिति लहिये। Virani Scanned with CamScanner

Loading...

Page Navigation
1 ... 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143