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इच्छामि ठाइउं। [ और ] 'माणसिओ' मानसिक 'उस्सुत्तो शास्त्रविरुद्ध 'उम्मम्गो' मार्ग-विरुद्ध 'अकप्पो' आचार-विरुद्ध 'अकरणिज्जो' नहीं करने योग्य 'दुज्झाओ' दुर्ध्यान-आर्त-रौद्र ध्यान-रूप 'दुन्विचिंतिओ दुश्चिन्तित-अशुभ 'अणायारों' नहीं आचरने योग्य 'अणिच्छिअब्बो' नहीं चाहने योग्य 'असावग-पाउग्गो' श्रावक को नहीं करने योग्य 'जो' जो 'अइयारो' अतिचार 'मे' मैंने 'कओ' किया [उस का पाप मेरे लिये मिथ्या हो; तथा] 'तिण्हं गुत्तीणं' तीन गुप्तिओं की [ और ] 'पंचण्हमणुब्बयाणं' पाँच अणुव्रत 'तिण्हंगुणव्वयाणं' तीन गुणव्रत 'चउण्हं सिक्खावयाणं' चार शिक्षाव्रत [ इस तरह ] 'बारसविहस्स' बारह प्रकार के 'सावगधम्मस्स' श्रावक धर्म की 'चउण्हं कसायाणं' चार कषायों के द्वारा 'ज' जो 'खडिअं' खण्डना की हो [ या ] 'ज' जो 'विराहिलं विराधना की हो 'तस्स' उसका 'दुक्कडं' पाप 'मि' मेरे लिये 'मिच्छा' मिथ्या हो ॥ ___ भावार्थ-मैं काउस्सग्ग करना चाहता हूँ; परन्तु इसके पहिले मैं इस प्रकार दोष की आलोचना कर लेता हूँ । ज्ञान, दर्शन, देशविरति-चारित्र, श्रुतधर्म और सामायिक के विषय में मैंने दिन में जो कायिक वाचिक मानसिक अतिचार सेवन किया। हो उस का पाप मेरे लिये निष्फल हो । मार्ग अर्थात् परंपरा विरुद्ध तथा कल्प अर्थात् आचार-विरुद्ध प्रवृत्ति करना कायिक भतिचार है दुर्ध्यान या अशुभ चिन्तन करना मानसिक अति