Book Title: Devsi Rai Pratikraman
Author(s): Sukhlal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 292
________________ अशुद्धि शुद्धि । पृष्ठ । पङा। होई . ... होइ ... १६ ... १ होई' ... 'होइ' ... १६ मिच्छामि ... मिच्छा मि ... २० 'निच्चं' 'निच्च' ... कर्म भूमियों में... कर्मभूमियों में स्थिति ... स्थित ... २५ आदि नाथ .... आदिनाथ ... २६ पातल ... पाताल ... २७ अहंदयो ... अहंदभ्यो ... २८ आदिकरेभ्य स्तीर्थकरभ्यः आदिकरेभ्यस्तीर्थकरेभ्यः २८ .... * अशुद्धि, जिस टाईप की हो पङ्क्तियाँ, उसी टाईप की गिननी चाहिए, औरों की छोड़ देनी चाहिए । कई जगह मशीन की रगड़ से मात्राएँ खिसक गई हैं और अक्षर उड़ गये हैं, ऐसी अशुद्धियाँ किसी२ प्रति में हैं और किसी२ में नहीं भी हैं, उन में से मोटी२ अशुद्धियाँ भी यहाँ ले ली गई हैं।

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