Book Title: Devsi Rai Pratikraman
Author(s): Sukhlal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 259
________________ २२० प्रतिक्रमण सूत्र । १४. अणाघाडे आसने पासवणे अहिआसे । १५. अणाघाडे मज्झे उच्चारे पासवणे अणहिआसे । १६. अणाघाडे मज्झे पासवणे अहिआसे । १७. अणाघाडे दूरे उच्चारे पासवणे अणहिआसे । १८. अणाघाडे दूर पासवणे अणहिआसे । १९. अणाघाडे आसन्ने उच्चारे पासवणे अहिआसे । २०. अणाघाडे आसन्ने पासवणे अहिआ से | २१. अणाघाडे मझे उच्चारे पासवणे अहिआसे । ..२२. अणाघाडे मज्झे पासवणे अहिआसे । २३. अणाघाडे दूरे उच्चारे पासवणे अहिते । २४. अणाघाडे दूरे पासवणे अहिआसे । सिर्फ रात्रि के चार पहर का पोसह लेने की विधि | इच्छामि० इच्छा ० से लगा कर यावत् बहुवेलं करेमि - पर्यन्त सुबह के पोसह लेने की विधि के अनुसार विधि करे । उस के बाद शाम के पाडलेहण में इच्छामि ० दे कर 'पाडलेहण करूं ?' इस आदेश से लेकर 'उपधि पडिलेहु ?' इस आदेश - पर्यन्त पूर्वोक्त विधि करे | पीछे देव वाँदे, माँडले करे और पडिकमणा करे । . सुबह चार पहर का पोसह लिया हो और पीछे आठ पहर का पोसह लेने का विचार हो तो शाम की पडिलेहणा करते समय इरियावहिय पडिक्कम के ‘इच्छामि० इच्छा० गमणागमणे' आलोच कर 'इरियावहियं' से लगा कर 'बहुवेलं करेमि' इस आदेश - पर्यन्त सुबह के पोसह लेने की विधि के अनुसार विधि करे; 'सज्झाय करूं ?'

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