Book Title: Devsi Rai Pratikraman
Author(s): Sukhlal
Publisher: Atmanand Jain Pustak Pracharak Mandal

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Page 281
________________ १४ प्रतिक्रमण सूत्र । विधियाँ । प्रभातकालीन सामायिक की विधि | • दो घड़ी रात बाकी रहे तब पौधशाला आदि एकान्त स्थान में जा कर अगले दिन पडिलेइन किये हुए शुद्ध वस्त्र पहिन कर गुरु न हो तो तीन नमुक्कार गिन कर स्थापनाचार्य स्थापे । बाद खमासमण दे कर 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ' कह कर 'सामायिक मुहपत्ति पडिले हुँ ?' कहे । गुरु के 'पडिले हेह' कहने के बाद 'इच्छं' कह कर खमासमण दे कर मुहपत्ति का पडिलेहन करे । फिर खड़े रह कर खमासमण दे कर 'इच्छा० ' कह कर 'सामायिक संदिसा हुँ ? ' कहे । गुरु 'संदिसावेह' कहे तब 'इच्छं' कह कर फिर खमासमण दे कर 'इच्छा ०' कह कर 'सामायिक ठाउँ ?' कहे । गुरु के 'ठाएह' कहने के बाद 'इच्छं ' कह कर खमासमण दे कर आधा अङ्ग नमा कर तीन नमुक्कार गिन कर कहे कि 'इच्छकारि भगवन् पसायकरी सामायिक दण्ड उच्चरावो जी' । तब गुरु के ' उच्चरावेमो' कहने के बाद 'करेमि भंते सामाइयं' इत्यादि सामायिक सूत्र तीन धार गुरुबचन - अनुभाषण-पूर्वक पढ़े । पीछे खमासमण दे कर 'इच्छा ०' कह कर. 'इरियावहियं पडिक्कमामि ? ' कहे । गुरु 'पडिक्कमह' कहे तब 'इच्छं' कह कर 'इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए ' इत्यादि इरियावाहय करके एक लोगस्स का काउस्सग्ग कर तथा 'नमो अरिहंताणं' कह कर उस को पार कर प्रगट लोगस्स कहे ।

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