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प्रतिक्रमण सूत्र ।
रोज के सूर्योदय तक पाँच आगार रख कर चारों आहारों का त्याग
किया जाता है ।
रात के पच्चक्खाण ।
[(१) - पाणहार पच्चक्खाण'। ] पाणहार दिवसचरिमं पच्चक्खाइ, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वो - सिर ।
भावार्थ – यह पच्चक्खाण दिन के शेष भाग से ले कर संपूर्ण रात्रि - पर्यन्त पानी का त्याग करने के लिये है ।
[ ( २ ) - चउव्विहाहार -पच्चक्खाण'। ] दिवसचैरिमं पच्चक्खाइ, चउव्विर्हपि आहारं असणं पाणं, खाइमं, साइमं अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिबत्तियागारेणं वाोसिरइ |
भावार्थ — इस पच्चक्खाण में दिन के शेष भाग से संपूर्ण रात्रि-पर्यन्त चारों आहारों का त्याग किया जाता है ।
[ ( ३ ) - तिविहाहार- पच्चक्खाण । ] दिवसचरिमं पच्चक्खाइ, तिविहपि आहारं—असणं, १ - यह पच्चक्खाण एकासण, बियासण, आयंबिल और तिविहाहार उपare करने वाले को सायंकाल में लेने का है ।
२ - दिन में एग़ासण आदि पच्चकखाण न करने वाले और रात्रि में चारों आहारों का त्याग करने वाले के लिये यह पच्चक्खाण है ।
३ - अल्प आयु बाकी हो और चारों आहारों का त्याग करना हो तो 'दिवसचरिमं' की जगह 'भवचरिमं' पढ़ा जाता है ।
४ - इस पच्चकखाण का अधिकारी वह है जिस ने एगासण, बियसिंग आदि व्रत नहीं किया हो ।