Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 10
________________ - जिन प्रवचन की वृद्धि और ज्ञानादि गुणों की प्रभावना देव द्रव्यादि से होती है। देव द्रव्यादि द्रव्य संघ में विपुल प्रमाण से होवे तो वह संघ अपने गांव में अथवा अन्य गाँवों में जीर्ण शीर्ण मन्दिरों का उद्धार कर सके या नये गगन चुंबी मन्दिरों का निर्माण कर सके। गांव गांव में अनुपम कोटि के मन्दिरादि धर्मस्थान होवे तो प्रभाव सम्पन्न आचार्य भगवन्त आदि साधुगण का पदार्पण होता रहे और वे उपदेश का स्रोत बहाते रहे। उनके उपदेश की प्रेरणा पाकर कई जन वैरागी बन संसार को छोड़ संयम मार्ग का स्वीकार करके ज्ञानादि गुणों की प्राप्ति करे और कई, भावुक लोग महोत्सव आदि शासनोनति के कार्य करके जिन शासन की प्रभावना करे। इस प्रकार देवद्रव्यादि धर्म द्रव्य ज्ञानादि गुण की वृद्धि और जैन शासन की प्रभावना कराने में कारण होने से उसका संरक्षणादि की व्यवस्था सुन्दर ढंग से करने वाला सुश्रावक तीर्थंकर पद को भी प्राप्त करता है तथा वह अल्प संसारी बन जाता है ___उसी प्रकार यदि आदमी जिनाज्ञा के विरुद्ध अपनी इच्छा मुताबिक वहीवट करे तो उसको क्या नुकसान होता है. उसका वर्णन भी द्रव्य सप्तत्ति का ग्रन्थ में इस तरह फरमाया भक्खेइ जो उविक्खेइ जिणदव्वं तु सावओ।

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