________________ की व्यवस्था के लिए जैन संघ व्यवस्थापक 'वहीवटदारों को नियुक्त करता है। उनकी जानकारी के लिए धर्म द्रव्य की व्यवस्था करने के लिए कैसे आदमी अधिकारी होते है उसका स्वरूप पंचाशक प्रकरण ग्रन्थ के अनुसार द्रव्य सप्तत्तिका ग्रन्थ में महोपाध्याय श्री लावण्य विजयजी गणिवर ने इस तरह बताया है। .. . अहिगारी य गिहत्थो-सुयणो वितिमं जुओ कुलजो। अखुद्दो घिइबलीयो मइमं तह धम्मरागी य।। . गुरुपूजाकरणरइ-सुस्सुसाइगुणसंगओ चेव। . णायाहिगयविहाणस्स . धणियमाणापहाणो य।। वास्तवमें एसे गुणावाला श्रावक देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य का और धर्म स्थानों का वहीवट करने में अधिकारी कहा गया (1) जिसका स्वजन कुटुंब अच्छा होवें। धर्म विरुद्ध और लोक विरुद्ध कार्य नहीं करने वाला कुटुंब अच्छा कुटुंब कहा जाता है ऐसा कुटुंब वाला धर्मद्रव्य तथा धर्म स्थानों के वहीवट करे तो उसके शुभ भावो की वृद्धि हो सके अन्यथा कुटुंब के सदस्य धर्मविरुद्ध अथवा लोक विरुद्ध कार्य करें तो अनेक प्रकार की विपत्तिया आने के वजह से वहीवट करने वाले का दिमाग आर्त रौद्र ध्यान के संक्लेश