Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 64
________________ आता है इन्द्रपुर के नगर में देवसेन नाम के एक धनाढ्य सेठ रहते थे। हररोज उसके घर एक ऊंटडी आती थी। उसको बेडीया मार-मार के अपने घर ले जाता था। लेकिन वह ऊंटडी वापिस देवसेन सेठ के घर पर आ जाती थी। यह देखकर देवसेन श्रेष्ठि को बड़ा आश्चर्य हुआ। एक दफे ज्ञानी गुरू भगवन्त पधारे। उनसे देवसेन श्रेष्ठि ने पूछा भगवन् यह ऊंटडी बार-बार मेरे घर पर क्यूं आजाती है। तब ज्ञानी गुरू भगवन्त ने कहा कि यह ऊंटडी गत जन्म में तेरी माँ थी। वह हरहम्मेश जिनेश्वर भगवन्त के आगे दीपक करती थी और वही दीपक से अपना घर काम भी करती थीं जिनेश्वर भगवन्त के आगे किया दीपक देवद्रव्य हो जाता है अत: उससे घर काम करना, ये देवद्रव्य भक्षण के पाप में कारण बन जाता है। तेरी माँ जिनेश्वर देव के आगे रखे दीपक से अपने घर काम करती थी उसी तरह धूप के लिए रखी धूपदानी में जलते अग्नि से चूल्हा भी जलाती थी। इन दोनों पाप से तेरी मां ऊंटडी रूप से पैदा हुई। तेरे को और तेरे घर को देखकर उसको शान्ति होती है। अब तू उसको तेरे माँ के नाम से बुला और दीपक की तथा धूप की बात कर, उससे उसको जातिस्मरण ज्ञान और प्रतिबोध होगा। देवसेन सेठ ने गुरू भगवन्त ने कहे मुताबिक बात

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