________________ 62. . सोये। उठाने पर भी उठे नहीं। मुझे लगता है कि कल इसने कोई अशुद्ध आहार का भोजन किया होगा। यह सुनकर सेठ ने कहा कि कल तो मैंने ही गोचरी बेहराई है। - गुरू ने पूछा शुभंकर सेठ! आपको मालुम होगा कि . बहेराया. आहार शुद्ध और मुनि को खप में आवे ऐसा ही होगा। शुभंकर सेठ में सरल भाव से बिना छुपाये मन्दिर में / से बदलकर लाए चावल से बनाई खीर की बात कर दी गुरू महाराज ने कहा शुभंकर, यह तुने ठीक नहीं किया। तुने देवद्रव्य के भक्षण का महान पाप किया है। सेठ ने कहा! हां गुरूजी उसके फल रूप मेरे को कल बहुत धन की हानि हुई। गुरू ने कहा - तेरे को तो बाह्य घन की हानि हुई लेकिन इस मुनि को तो अभ्यन्तर संयम धन की हानि हुई हे शुभंकर! इस पाप से बचना हो तो तेरे - पास जो धन है उसका व्यय करके एक जिनमन्दिर बना देना चाहिये। सेठ ने पाप से बचने के लिए एक मन्दिर अपने सारे धन से बनवाया।