Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 20
________________ 14 जहां यह प्रवृत्ति होवे उसका सुधारा करके स्वप्नद्रव्य को देव द्रव्य में लेकर मंदीर के जीर्णोद्धारादि के शुभ कार्य में ही उसका सदुपयोग करना चाहिए। स्वप्न बोली का द्रव्य देव द्रव्य में ही लेना चाहिए ऐसा शास्त्रीय निर्णय अहमदाबाद के अन्दर विक्रम संवत् 1990 की साल में हुए मुंनि सम्मेलन में श्वेताम्बर मुर्ति पूजक संघ के आचार्यादि मुनि भगवन्तो ने किया उसका पट्टक इस प्रकार है। मुनी सम्मेलन नो निर्णय देवद्रव्य (ठराव 2) 1) देवद्रव्य - जिन चैत्य तथा जिन मूर्ति सिवाय बिजा कोई पण क्षेत्रमा न वपराय। 2) प्रभुना मंदिर के बहार गमे ते ठिकाणे प्रभुना निमित्ते जे जे बोली बीलाय ते सधलु देव द्रव्य कहेवाय। 3) उपधान संबन्धी माला आदि नी उपज देव द्रव्यमां लइ जवी योग्य जणाय छ। श्रावकोए पोताना द्रव्यथी प्रभु पूजा वगेरेनो लाभ लेवो ज जोइए परन्तु कोई स्थले अन्य सामग्रीना अभावे प्रभुनी पूजा आदिमां वांधो आवतो जणाय तो देव द्रव्य मांथी प्रभुनी पूजा आदिनो प्रबन्ध करी लेवो परन्तु प्रभुनी पूजादि ते जरुर थवी जोइए। तीर्थ अने मंदिरोना वहीवटदारोए तीर्थ अने मंदिर सम्बन्धी कार्य माटे जरुरी मील्कत राखी बाकीनी मील्कतमांथी तीर्थोद्धार अने जीर्णोद्धार तथा नवीन मंदिरो माटे योग्य मदद आपवी जोइए, एम आ मुनी सम्मेलन भलामण करे छ।

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