Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 22
________________ लगाया हो तो भी 500 रु. ही खर्चेगा, सर्चार्ज लगाया तो वह निर्धारित रकम से ज्यादा खर्चेगा एसा तो है ही नही अत: सर्चार्ज लगाइ बोली में जो 500 रुपैये खर्चे उसमें से 400-450 रुपैये देव द्रव्य में लीये गये और 100 या 50 साधारण में लीये 100 या 50 रु. का देव द्रव्य में घाडा पड़ा। यदि बोली पर सर्चार्ज न लगाया होता तो 500 रुपैये देव द्रव्य में ही जाते धाढा पड़ने की कोई आपत्ती ही नही आती। इस कारण स्वप्नाजी वगेरे की बोली पर सर्चार्ज लगाना और सर्चार्ज में आये पैसे को साधारण खाते में लेना कीसी भी तरह से युक्त नहीं है। . उसी तरह गुरू के एकांग या नवांग पूजा का-गुरू की अग्र पूजा का तथा गुरू पूजाभक्ति निमित बोले चढ़ावे का द्रव्य भी देव द्रव्य में ही लेना चाहिए लेकिन कई गांवो में गुरू की अंगअग्र पूजा का तथा गुरू भक्ति निमित बोले चढ़ावे के द्रव्य को साधु आदि की वैयावच्च खाते में लेकर गुरू भक्ति वगेरे में उपयोग करते हैं यह प्रवृत्ति भी शास्त्र विरुद्ध द्रव्य सप्तति का वगेरे कई शास्त्रों में ये द्रव्य का देव द्रव्य में ले जाने का विधान कीया है ये रहे इन विधान के पाठ - बालस्य नामस्थापनावसरे गृहादागत्य सबाल: श्राद्धः

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