Book Title: Devdravyadi Vyavastha Vichar
Author(s): Vichakshansuri
Publisher: Parshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust

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Page 50
________________ 44 वसूल कर लेना चाहिए जिसको देव द्रव्य देवा देने के शक्ति न होवे तो संघ ने अथवा कोई पुण्यवन्त श्रीमंत श्रावक ने अपने रुपये भरकर खाता चुकता करना चाहिए। शक्ति सम्पन्न भी आदमी देव द्रव्य का देवा बददानत से भरपाई न करता होवे तो उसके घर का पानी भी श्रावक ने नहीं पीना चाहिए। कोई संजोग वशात् उसके वहां भोजन लेना पड़े तो भोजन की जितनी किंमत होवे उस मुताबिक रुपये मंदिरजी के भण्डार में डाल देवे। लेकिन मुफत नहीं जीमना इस तरह कथन कई शास्त्र में किया है। कितनेक ठीकाने ट्रस्टी वगैरे स्वयं ही संघादि को बिना पूछे बड़ी बड़ी देवद्रव्यादि की रकम अपने उपयोग में लेने के लिए संस्था में से उठाते है लेकिन यह अत्यन्त गेरवाजबी है क्योंकि श्राद्धजीत कल्प में कहा है कि देवद्रव्यादि की व्यवस्था करने वाले को यदि एक रुपये का केवल परचुरण अपने पास रही देवद्रव्यादि की सीलक में से लेना होवे तो दो आदमी को साक्षी के बिना नहीं लेना चाहिए। इस बात से यह विचार करना चाहिए कि यदि रुपया डालकर देवद्रव्य से परचुरण लेना अकेले आदमी को सत्ता नहीं है तो फिर बिना किसी की इजाजत से बड़ी बड़ी रकम देवद्रव्यादि को अपने उपयोग के लिए लेना कितना अनुचित है।

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