________________ मल्लश्रेष्ठिना दत्तं तेन च प्रसादाद्यकार्यन्त सूरिभिः। तथा धाराया लघुभोजेन श्री शांतिवेताल सुरये 1260000 द्रव्यं दत्तं। तन्मध्ये गुरुणा च द्वादशलक्षधनेन मालवान्तक्ष श्चैत्यान्यकार्यन्त। षष्टिसहस्रद्रव्येण च थिरापर्टे चैत्यदेवकुलिकाद्यपि। तथा सुमतिसाघुसुरिसाधुसूरिवारके मंडपाचलदुर्गे मलिकश्रीमाफराभिधानेन श्राद्धादिसंसर्गाज्जैनधर्माभिमुखेन सुवर्णटंककैर्गीतार्थनां पूजा कृतेति वृद्धवादोऽपि श्रूयते। उंचे हाथ करके “धर्मलाभ'' इस तरह का आर्शीवाद देने वाले श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरि को विक्रम राजा ने एक करोड़ द्रव्य दीया यह द्रव्य अग्र पूजा रूप था उसको श्री संघ ने श्री सिद्धसेन दिवाकर सूरी की आज्ञा से मंदिरो के जीर्णोद्वार में उपयोग किया। ___ आचार्य भगवन्त श्री हेमचन्द्र सूरिकी भी कुमारपाल महाराज हर हम्मेश 108 स्वर्ण कमल से पूजा करता था। आ. भ. श्री जीवदेव सूरी की पूजा में आधा लाख द्रव्य मल्लश्रेष्ठि ने दिया था उससे उन्होंने जिन मंदिरादि करवायें। ____ धारा नगरी * में लघुभोज राजा ने वादी वेताल श्री शांतिसूरी को 12 लाख 60 हजार रुपये दिये। उसमें से 12 लाख के धन से मालवा देश में मंदिर बनवाये और 60